सोमवार, 25 फ़रवरी 2013

बड़े बिगबॉस का बड़ा घर


आध्यात्मिक चिन्तन के क्षण...........

आचार्य सत्यजित् जी
ऋषि उद्यान, अजमेर

यह दुनिया बिगबॉस का दिया हुआ घर है। इस दुनिया में वे ही आ सकते हैं, जिनका बिगबॉस चयन करते हैं। बिगबॉस किस आत्मा को कौन सा शरीर देते हैं, यह आत्माओं के कर्मानुसार निर्धारित किया जाता है। कोई आत्मा स्वेच्छा से इस दुनिया के किसी शरीर में प्रवेश नहीं कर सकता है। बिगबॉस के घर की तरह इस बड़े बिगबॉस के बड़े घर ‘दुनिया’ में भी रहने के नियम निर्धारित हैं, और  इन्हें बड़े बिगबॉस ने युक्तिपूर्वक निर्धारित किया है। जो आत्मा बड़े बिगबॉस के नियमों-आदेशों का पालन करता है, वह उन का भी प्रिय बन जाता है व अन्य आत्माओं का भी। उसे पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया जाता है। जो उन के नियमों के विरुद्ध आचरण करता है उसे दण्ड दिया जाता है, वह अन्य आत्माओं के विपरीत आचरण करने से उनका भी अप्रिय बन जाता है, उसे अन्यों की कटु प्रतिक्रियायें अधिक झेलनी पड़ती हैं। बड़े बिगबॉस के घर में सुख-शान्ति से रहने के सबसे मुख्य व मूल उपाय हैं- उसके नियम-अनुशासन का पालन, अन्यों से सहयोग व प्रेम-पूर्वक व्यवहार।

बिगबॉस की दुनिया में कोई नेतृत्व करने वाला होता है, तो कोई  उनके पीछे चलने वाला। पीछे चलने वाले को नेतृत्व करने वाले नेता के उन्हीं आदेशों को पालना होता है, जो बिगबॉस के आदेशों के अनुरूप हों। नेता बनने का यह अर्थ नहीं होता कि मनमाने नियम बनाकर मनमाने ढंग से किसी पर भी थोप दिये जायें। नेता के अन्यायपूर्ण व्यवहार को मानने से मना करने पर बिगबॉस दण्ड नहीं देते, बिगबॉस इससे प्रसन्न होते हैं। ऐसी स्थिति में बिगबॉस नियम-विरुद्ध आदेश देने वाले नेता को दण्डित करते हैं व गलत नियम का विरोध करने वाले से प्रसन्न होकर उसे पुरस्कृत करते हैं। बिगबॉस की दुनिया में किसी से अन्याय नहीं होता। मूलतः यहां सब समान हैं। कर्मों के अनुसार सबकी कुछ-कुछ सुविधाओं-अवसरों में भेद भी रहता है, जो कि बिगबॉस का यथायोग्य व्यवहार है, न्याय है। ऐस ही बडे़ बिगबॉस (परमात्मा) करते हैं।

बिगबॉस के घर में स्थान-स्थान पर कैमरे लगे हैं, माइक पास में रखना अनिवार्य है, ताकि प्रत्येक की गतिविधि ज्ञात हो सके, तभी उचित-अनुचित का पता चल सकता है, तभी न्याय हो सकता है। किन्तु इस बड़े बिगबॉस को कैमरे कीआवश्यकता ही नहीं है, न माइक की। वे तो सर्वव्यापक हैं, सदा-सर्वत्रा विद्यमान हैं। बड़े बिगबॉस हमारे अन्तःकरण में, मन में, बुद्धि में भी विद्यमान हैं और हमारे प्रत्येक विचार को पूरी तरह जान रहे हैं। इनसे बचकर, छुपकर कोई कुछ नहीं कर सकता, विचार तक भी छुपकर नहीं कर सकता। इस बड़े बिगबॉस से कुछ भी छुपा हुआ नहीं है।

बड़े बिगबॉस बड़े शक्तिशाली हैं। ये जो न्याय करते हैं, फैसला सुनाते हैं, उसको पालन भी करवा सकते हैं। ये जो भी दण्ड व पुरस्कार देना चाहते हैं, उसे दे सकते हैं, दे देते हैं, कोई मना नहीं कर सकता। यदि कोई दण्ड से बचने का गलत प्रयास करता है तो उसे और अधिक दण्ड दिया जाता है। मूल-दण्ड तो जो बचा था, भोगना ही पड़ता है, साथ में दण्ड  से गलत ढंग से बचने के प्रयास का नया-दण्ड अतिरिक्त भोगना पड़ता है। जो पुरस्कार को पाता है वह उसे मात्रा स्वयं भी उपयोग में ले सकता है व अन्यों को भी दे सकता है। यदि वह इसे अन्यों को भी देता है तो अन्यों का प्रेम-सहयोग-आत्मीयता पाता है, साथ ही उसे और अधिक पुरस्कार (पुण्य) मिलता है।
जिसे यह समझ में आ गया कि बडे़ बिगबॉस की दुनिया में मैं कोई भी गलत कार्य करूंगा तो दण्ड से बच नहीं सकूंगा, और जो भी अच्छा कार्य करूंगा उसका पुरस्कार मुझे अवश्य मिलेगा, उस व्यक्ति का जीवन पूर्णतः बदल जाता है। वह सदा नियम-अनुशासन-धर्म का ही पालन करता है। वह अन्यों के बहकावे में आकर या अन्य क्या कहेंगे यह सोचकर; या अन्यों साथ रहना है तो उनके अनुसार चलने के लिए बिगबॉस के नियम-अनुशासने-आदेश को कभी नहीं तोड़ता, दुनिया के समस्त व्यक्ति भी विराध करें तो भी वह सत्य-धर्म को नहीं छोड़ता, क्योंकि उसे पता है कि दुनिया के समस्त लोगों की प्रियता-आत्मीयता से बढ़कर बड़े बिगबॉस की प्रियता-आत्मीयता है। बड़े बिगबॉस की दृष्टि में अच्छा बनना आवश्यक है, भले ही अन्य सब की दृष्टि में बुरे बन रहे हों। अन्य सब की दृष्टि में भले ही अच्छा बन जायें, पर इसके प्रयास में बड़े बिगबॉस के नियमों को तोड़ा, तो बड़े बिगबॉस की दृष्टि में बुरा बन जाना बहुत हानिकारक होता है।

बड़े बिगबॉस की दुनिया से निकाल देने के लिए नामांकन की प्रक्रिया नहीं चलती है। कोई अन्य हमें नामांकित करके इससे निकलवा नहीं सकता। यहां टी.आर.पी. का भी कोई चक्कर नहीं है। जो कुछ निर्णय होता है, वह बड़े बिगबॉस द्वारा ही होता है, व वही अन्तिम होता है।

इस दुनिया में चरम पर पहुँचने के लिए एक को ही जगह हो ऐसा नहीं है, प्रत्येक व्यक्ति चरम-लक्ष्य तक पहुँच सकता है। प्रत्येक व्यक्ति चरम-लक्ष्य को पाने की अपनी यात्रा में सदा लगा रहता है, लगा रहेगा। अन्य कोई उसे इससे पृथक् नहीं कर सकता। बड़े बिगबॉस सबको चरम-लक्ष्य तक पहुँचाना चाहते हैं, अतः वे  किसी का भी अवसर समाप्त नहीं करते। कोई कितना भी नियम विरुद्ध व्यवहार कर दे, उसे पूर्णतः पृथक् कभी नहीं करते, हां दण्ड अवश्य देते हैं। उसे मनुष्य जन्म न देकर अनय शरीर दे देते हैं। वहां दण्ड पूरा भोग लेने पर उसे पुनः मनुष्य जन्म देकर लक्ष्य-प्राप्ति का अवसर पुनः प्रदान करते हैं।

हम सब बिगबॉस के घर में रह रहे हैं, बड़े बिगबॉस के बडे़ घर ‘दुनिया’ में रह रहे हैं। हमें अपना-अपना खेल स्वतंत्रा खेलना है, हम जो करेंगे वही हमारे काम आयेगा।


साभार-परोपकारी पत्रिका 

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