गुरुवार, 22 दिसंबर 2011

ईश्वर जीव और प्रकृति को जानें


ईश्वर जीव और प्रकृति को जानें



यज्ञ प्रशिक्षण देते आचार्य ज्ञानेश्वर जी 


भूमिकाः- अपने अविद्या आदि दोषों को दूर करने हेतु विद्या की प्राप्ति करना जरूरी होता है, तब ही लौकिक और आध्यात्मिक सफलता मिलती है। अतः आचार्यवर कहते हैं

मनुष्य जीवन का उद्देश्य है- बंधन से छूट कर के स्वतंत्रता को प्राप्त करना। इसका उपाय है- ईश्वर को जानना, अपने आप को जानना और प्रकृति को जानना। पहले प्रकृति को जानें अर्थात् इस संसार को जानें। फिर अपने स्वयं के स्वरूप को जानें कि मैं कौन हूं, मेरा सामर्थ्य क्या है, मेरी योग्यता क्या है। इसके बाद ईश्वर क्या है, उसका सामर्थ्य क्या है, इसके विषय में जानें। इन तीन चीजों का अच्छी प्रकार से ज्ञान प्राप्त कर लेने पर व्यक्ति प्रकृति के बंधन से छूट सकता है और कोई उपाय नहीं है।
ईश्वर को जानने के लिए व्यक्ति को शास्त्र पढ़ने पड़ते हैं। वेद दर्शन उपनिषद् आदि-आदि शास्त्र हैं। उनको पढ़कर के अपने जीवन को पवित्र बनाना पड़ता है। अपने जीवन को उन आदर्शों के आधार पर चलाना पड़ता है। जो आदर्श जो मर्यादायें जो सिद्धान्त जो विधि-विधान ऋषियों ने वेदों के आधार पर हमारे लिए निर्धारित किये हैं उनके अनुरूप आचरण करना पड़ता है। इनसे विपरीत चलकर के कोई भी व्यक्ति इस बंधन से छूट नहीं सकता दुःखों से छूट नहीं सकता।

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