बुधवार, 21 दिसंबर 2011

ईश्वर, जीव, प्रकृति को न जानने


 ईश्वर, जीव, प्रकृति को न जानने वाला भूलें करता है।

भूमिका- अपनी भूल, अपने ही हाथों सुधर जाये, यह अच्छा है, लेकिन इसके पहले भूल का कारण जानना जरूरी होता है, और वह है:-
आर्ष परम्परा के पोषक आचार्य श्री ज्ञानेश्वर जी 
अपनी दिनचर्या में, अपने जीवन में अनेकों प्रकार की त्रुटियाँ, भूलें, दोष दिन में हो जाते हें। न केवल स्थूल (शारीरिक) रूप से, न केवल वाचनिक रूप से बल्कि विचार के माध्यम से भी हमसे त्रुटियाँ होती हैं। जो व्यक्ति सतर्क-सावधान नहीं है, वह रोजाना सैकड़ों प्रकार की भूलें कर लेता है। वह कभी मन में द्वेष उत्पन्न करता है तो कभी राग उत्पन्न करता है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से राग, द्वेष और मोह उत्पन्न करना त्रुटि है, भूल है, दोष है। सतर्क और सावधान न होना, आलसी, प्रमादी, (लापरवाह) होकर के अपने कर्तव्यों को, दायित्वों को भूल जाना, अपने आत्मा को भूल जाना, ईश्वर के सत्य को भूल जाना, संसार के जड़त्व (निर्जीवता-अनात्मा स्वरूप) को भूल जाना, ये त्रुटि है। जो व्यक्ति ईश्वर, जीव और प्रकृति (सत्त्व, रज व तम और इनसे बने संसार) नामक तीन पदार्थों का ज्ञान सतत नहीं रखता है, वह हर समय त्रुटि करता है।
हमें हर समय यह पता होना चाहिए कि-‘‘मैं आत्मा हूँ, शरीर और संसार के पदार्थ जड़ हैं और ईश्वर इनको बनाने वाला है और सर्वव्यापक है।’’ जो व्यक्ति इन तीनों वस्तुओं का ज्ञान हर समय अपने मन, मस्तिष्क में नहीं रखता है, वह त्रुटि कर रहा है, हर पल कर रहा है। ऐसी त्रुटि केवल उससे होती है जो त्रैतवाद (ईश्वर, जीव प्रकृति) को ठीक प्रकार से नहीं समझ रहा है। पता होना चाहिए कि- ये मेरा शरीर जड़ है और मैं इसका संचालक आत्मा हूँ। मैं मन-इन्द्रियों का प्रयोग करने वाला चालक हूँ। इस शरीर को बनाने वाला, इसका संचालन करने वाला और कमरे कर्मों का फल देने वाला और इस शरीर का पालन करने वाला परमपिता परमात्मा है। वह मेरा ईश्वर, मेरे हृदय में बैठा हुआ मुझको अच्छे बुरे का ज्ञान कराता है।

इन तीनों तत्त्वों का ज्ञान जब व्यक्ति को सतत् बने रहता है, तब वह ज्ञानी और दोषरहित होता है। जब तीन प्रकार का ज्ञान उसको नहीं रहेगा तो सतत्, दिनभर अठारह घंटे, हर सेकेंड वह त्रुटि करेगा, भूल करेगा, दोष करेगा। इन तीन तत्त्वों के ज्ञान को जो व्यक्ति प्राप्त कर लेता है, वह व्यक्ति निरंतर उन्नति करता रहता है। इसमें कोई संशय नहीं है।

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